Friday, 3 March 2017

बौध्द और जैन धर्म

                                       बौध्द और जैन धर्म 


-------समानतायें:-------->


१>दोनों धर्मो ने वैदिक कर्मकांड, यज्ञ सम्बन्धी आडंबरो और धार्मिक रुढियो का विरोध किया।

२>दोनों धर्मो ने ईश्वर के अस्तित्व को महत्व प्रदान नहीं किया था।उन्होंने वेदों और उपनिषदों की प्रमाणिकता को भी अस्वीकार किया।

>कर्म और पुनर्जन्म के सिध्दांतो को दोनों स्वीकार करते थे।

४>दोनों धर्मो ने नैतिक आचरण से सम्बन्धित को अपने जीवन में उतारने का उपदेश दिया।

५>बुद्ध और महावीर दोनों ही क्षत्रिय राजकुमार थे।उन्होंने ब्राह्राणों के धार्मिक महत्त्व को अस्वीकार किया।

६>दोनों धर्म सदाचारी और व्याव्हारिक थे।

७>जाती प्रथा,छुआछूत और समाजिक भेद-भाव का दोनों धर्मो ने विरोध किया।उन्होंने मोक्ष के व्दार सभी जातियो के लिए खोले।

८>धर्म प्रचार के लिए दोनों ने लोक-भाषाओ का उपयोग किया।

९>बौद्ध धर्म "बुद्ध" और "संघ" तथा जैन धर्म "दर्शन", "ज्ञान" और "चरित्र"के रत्नों को मानता है।

१०> दोनों धर्म जन्म-मरण के चक्र के आत्मा को छुटकारा दिलाना चाहते थे और मोक्ष ही उनका लक्ष्य था।



--------------असमानतायें:------------->


१>जैन धर्म कठोर तप और उपवास में म्रत्यु को श्रेष्ठ मानता था।बौद्ध इनमे विश्वास नहीं करते थे।

२>जैन धर्म में अहिंसा को सरवोच्च महत्व दिया गया था,जबकि बौद्ध दुसरो के व्दारा की गई हिंसा के विरोधी नहीं थे।

३>बौद्ध धर्म 'संघ' और 'भिक्षुओ'की शक्ति पर आधारित रहा। जैन धर्म में ग्रहस्थ और भिक्षुओ में कम अंतर है।

४>बौद्ध संसार को परिवर्तनशील और नाशवान मानते है।जैन उसे नित्य, अनादि और अनन्त मानते है।

५>जैन आत्मवादी होने से आत्मा की अपरिवर्तनशीलता को मानते है, जबकि बौद्ध अनात्मवादी होने से उसे परिवर्तनशील बतलाते है।

६>बौद्ध मोक्ष के व्दार अस्तित्व से छुटकारा मानते है ,जबकि जैन शरीर से छुटकारा पाने को मोक्ष कहते है।

७> बौद्ध बुद्ध की शरण में विश्वास करते है।उन्होंने उनकी अश्थियों को पूजनीय माना। जैन इस प्रकार के किसी तत्व को नहीं मानते।

८>जैन धर्म हिन्दू धर्म के अधिक निकट है।बौध्द धर्म ने उसका बहिष्कार किया।

९>जैन धर्म में चौबीस तीर्थकर हुए जबकि बौद्ध धर्म के प्रवर्त्तक मात्र बुध्द थे।

१०>बौद्ध धर्म जीन धर्म की अपेक्षा अधिक सरल और व्याव्हारिक होने से भारत और विदेशो में भी फैला।वह एक विषधर्म बना जबकि जैन-धर्म भारत तक ही सिमित रहा।

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